जानिए क्यों है सावन मास शिवभक्तों के लिए विशेष- सावन का महीना हिन्दू धर्म के भक्तों के लिए एक विशेषता रखता है। यह मास श्रावण मास के नाम से भी प्रसिद्ध है, जिसे हिन्दी कैलेंडर के अनुसार वर्ष के मासों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन का महीना देवश्रापण मास भी कहलाता है, जिसका आरंभ ज्येष्ठ शुद्ध पूर्णिमा से होता है और विशेष रूप से शिवजी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। इस महीने में हिन्दू धर्म के शिवभक्त भगवान शिव की अराधना, पूजा, व्रत और संगीत संगीत सभाओं को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
श्रावण मास का महीना हिन्दू धर्म के शिवभक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस मास में शिव जी के समीप रहने की एक अद्वितीय भावना और उनके ध्यान में एकाग्रता रखने का आनंद शिवभक्तों को प्राप्त होता है। यह मास शिवभक्तों के लिए ध्यान और भक्ति के अद्वितीय समय का प्रतीक है जब वे अपने ईश्वर के आग्रह पर अपने जीवन को शुद्ध, आनंदमय और समृद्ध बनाने का संकल्प लेते हैं।
जानिए क्यों है सावन मास शिवभक्तों के लिए विशेष
श्रावण मास का आगमन शिवभक्तों के लिए आनंद की बेला होती है। इस मास में विशेष पूजा, अर्चना, ध्यान और व्रतों का आयोजन किया जाता है जो भगवान शिव को समर्पित होते हैं। इस मास में सावन सोमवार की विशेषता है, जब शिवभक्त अगले पूर्णिमा तक हर सोमवार को व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। सावन के महीने में मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है, जहां वे शिव की पूजा करने के लिए उमड़ जाते हैं और मन्दिरों में दिन-रात भजन की धुन प्रतिध्वनित होती है।
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए कई प्रकार के व्रत रखे जाते हैं। सावन सोमवार का व्रत सबसे प्रमुख होता है, जो शिवभक्त विशेष श्रद्धा और विधान के साथ मनाते हैं। इस दिन व्रती शिवजी के लिए जल चढ़ाते हैं, धूप, दीप और फूल चढ़ाते हैं और शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाते हैं। कई लोग सावन के मास में दूसरे व्रत जैसे कि सोमवारी व्रत, सोमप्रदोष व्रत, सोमवार व्रत आदि भी सावन मास में बहुत प्रचलित होते हैं। ये व्रत शिवजी के आराधना और भक्ति में विशेष रूप से समर्पित होते हैं। व्रती इन दिनों में निराहार रहते हैं और शिवलिंग का पूजन करते हैं।
सावन के माह में कावड़ यात्रा भी एक प्रमुख परंपरा है जिसे शिवभक्त उत्साह से मनाते हैं। कावड़ यात्रा में भक्त गंगा जल को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और उठाते हैं। ये यात्रा श्रद्धा और समर्पण की अद्वितीय प्रक्रिया है जो शिवजी की कृपा और आशीर्वाद के लिए की जाती है।
सावन का महीना शिवभक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जब वे अपनी आत्मिक एवं मानसिक शुद्धि का संकल्प लेते हैं। इस मास में भक्तों को शिवजी के ध्यान में एकाग्र होने का अद्वितीय अवसर प्राप्त होता है और उन्हें शिवतत्व के प्रति आदर और प्रेम की अनुभूति होती है। इस मास में भक्तों के मन, वचन और कर्म शिवजी के आदेशानुसार चलते हैं और वे सदा उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए तत्पर रहते हैं।
सावन के महीने में शिवजी के नाम का जाप, ध्यान, आरती और भजन करने से भक्त की आत्मिक एवं मानसिक शांति होती है। शिवजी की कृपा से उनके जीवन में सुख, शांति, आनंद और समृद्धि का आभास होता है। ये व्रत, पूजा और आराधना के साथ ही शिवजी की महिमा और शक्ति का अनुभव कराते हैं और भक्त को साक्षात् भगवान शिव के समीप महसूस कराते हैं। इस प्रकार, सावन का महीना शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह मास शिवजी की पूजा, अर्चना और व्रतों का समय होता है जब वे अपने आदर्शों के प्रति आत्मसमर्पण दिखाते हैं और उनके चरणों में अपना जीवन समर्पित करते हैं। यह मास भगवान शिव के आशीर्वाद और कृपा का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है और भक्तों को आनंद, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
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