रुद्राक्ष कैसे पहने?, रुद्राक्ष पहनने का क्या नियम है?
शुद्ध मन एवं शुद्ध तन से रुद्राक्ष धारण करने के लिए सभी समय और चौघड़िए श्रेष्ठ हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें, रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें और शिव के मन्त्रों “ऊँ नम: शिवाय” एवं ” श्री शिवाय नमस्त्युभ्यं” का जाप करें। रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें। क्यूंकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है, ईश्वर के वंदन करने के लिए इसे स्वच्छ रखना चाहिए। इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि नहाने के बाद ही किये जाते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले क्या सावधानियां जरुरी हैं?
शुद्ध मन एवं शुद्ध तन से रुद्राक्ष धारण करने के लिए सभी समय और चौघड़िए श्रेष्ठ हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें। क्यूंकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि नहाने के बाद ही किये जाते हैं। रुद्राक्ष को तुलसी की माला के बराबर पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा, अन्य नशों और तामसिक भोजन के साथ तामसिक व्यवहार से दूरी बना लेना चाहिए। रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। संभोग के समय और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। नवजात के जन्म के दौरान बचे और माता-पिता के साथ-साथ जिस परिवार में नवजात शिशु का जन्म होता है उन्हें भी रुद्राक्ष पहनने से बचना चाहिए। रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखना चाहिए, ऐसा कहा जाता है कि रात को सोते समय भी रुद्राक्ष को उतर देना चाहिए।
अगर आप पहली बार रुद्राक्ष पहन रहें हैं और रुद्राक्ष के फायदों को अनुभव करने के लिए रुद्राक्ष धारण करने से पहले खुद को शराब और तामसिक भोजन से दूर रखना होगा, बुरी आदतें, बुरी सोच और बुरे व्यव्हार को भूलकर रुद्राक्ष को पहनें। रात में सोते समय इसे उतार दें, रुद्राक्ष सोने से पहले उतार देना चाहिए, क्यूंकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि नहाने के बाद ही किये जाते हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें, रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें और शिव के मन्त्रों “ऊँ नम: शिवाय” एवं ” श्री शिवाय नमस्त्युभ्यं” का जाप करें। शुद्ध मन एवं शुद्ध तन से रुद्राक्ष धारण करने के लिए सभी समय और चौघड़िए श्रेष्ठ हैं। रात में सोते समय इसे उतार दें, रुद्राक्ष सोने से पहले उतार देना चाहिए, क्यूंकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि नहाने के बाद ही किये जाते हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें |
रुद्राक्ष कब और कैसे पहने? रुद्राक्ष पहनने के नियम एवं उपाय
शुद्ध मन एवं शुद्ध तन से रुद्राक्ष धारण करने के लिए सभी समय और चौघड़िए श्रेष्ठ हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें, रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें और शिव के मन्त्रों “ऊँ नम: शिवाय” एवं ” श्री शिवाय नमस्त्युभ्यं” का जाप करें। रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए।
रुद्राक्ष कितने बजे पहनना चाहिए?, रुद्राक्ष कब पहनना चाहिए?
अगर आप पहली बार रुद्राक्ष पहन रहें हैं और रुद्राक्ष के फायदों को अनुभव करने के लिए रुद्राक्ष धारण करने से पहले खुद को शराब और तामसिक भोजन से दूर रखना होगा, बुरी आदतें, बुरी सोच और बुरे व्यव्हार को भूलकर रुद्राक्ष को पहनें। रात में सोते समय इसे उतार दें, रुद्राक्ष सोने से पहले उतार देना चाहिए, क्यूंकि भारतीय मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि नहाने के बाद ही किये जाते हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें, रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें और शिव के मन्त्रों – ऊँ नम: शिवाय एवं श्री शिवाय नमस्त्युभ्यं का जाप करें। शुद्ध मन एवं शुद्ध तन से रुद्राक्ष धारण करने के लिए सभी समय और चौघड़िए श्रेष्ठ हैं।
रुद्राक्ष कब नहीं पहनना चाहिए?
रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखना चाहिए, ऐसा कहा जाता है कि रात को सोते समय भी रुद्राक्ष को उतर देना चाहिए। संभोग के समय और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। नवजात के जन्म के दौरान बचे और माता-पिता के साथ-साथ जिस परिवार में नवजात शिशु का जन्म होता है उन्हें भी रुद्राक्ष पहनने से बचना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के नियम एवं उपाय
रुद्राक्ष किसे नहीं पहनना चाहिए?
संभोग के समय और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। नवजात के जन्म के दौरान बचे और माता-पिता के साथ-साथ जिस परिवार में नवजात शिशु का जन्म होता है उन्हें भी रुद्राक्ष पहनने से बचना चाहिए। रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए।
रुद्राक्ष के टूटने से क्या होता है?
रुद्राक्ष की माला टूट जाती है, तो इसका अर्थ यह लगाया जाता है कि भगवान भोलेनाथ रुष्ट हो गए हैं, लेकिन ईश्वर अपने किसी भी भक्त से नाराज नहीं होते हैं। रुद्राक्ष की माला के टूटने के पूछे अन्य कई कारण हो सकते हैं, हमें इस ओर कम ध्यान देना चाहिए तथा शुद्ध तन-मन से रुद्राक्ष धारण करने के सभी नियमों का पालन करते रहना चाहिए।
रात में रुद्राक्ष क्यों नहीं पहनना चाहिए?
रात में सोते समय इसे उतार दें, रुद्राक्ष सोने से पहले उतार देना चाहिए, क्यूंकि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि भी नहाने के बाद ही किये जाते हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें |
रुद्राक्ष पहने के बाद क्या नहीं करना चाहिए?
रुद्राक्ष को तुलसी की माला के बराबर पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा, अन्य नशों और तामसिक भोजन के साथ तामसिक व्यवहार से दूरी बना लेना चाहिए। रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। संभोग के समय और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। नवजात के जन्म के दौरान बचे और माता-पिता के साथ-साथ जिस परिवार में नवजात शिशु का जन्म होता है उन्हें भी रुद्राक्ष पहनने से बचना चाहिए। रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखना चाहिए, ऐसा कहा जाता है कि रात को सोते समय भी रुद्राक्ष को उतर देना चाहिए।