श्री शिव रूद्राष्टकम ( शिव रुद्राष्टकम पाठ ) शिव रुद्राष्टकम श्लोक नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं… और देखें "श्री शिव रूद्राष्टकम"
रुद्राक्ष क्या है?
रुद्राक्ष एक संस्कृत शब्द है जो रुद्र से शुरू होता है और यह रुद्र+अक्ष का मिश्रण है, जो रुद्र और अक्ष का प्रतीक है, या भगवान शिव के आंसू हैं। लोगों ने कहा कि भगवान शिव के आंसू रुद्राक्ष के पौधे के रूप में पृथ्वी पर गिरे। इन पंक्तियों के साथ रुद्राक्ष की प्रसिद्धि शुरू हुई। रुद्राक्ष के बारे में हिंदू पौराणिक कथाओं में कई कहानियां हैं। रुद्राक्ष के संदर्भ हमारे हिंदू लोककथाओं और शिव पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवतम के वैदिक पवित्र लेखन में पाए जाते हैं।
रुद्राक्ष के नियम प्रकार लाभ तरीके मान्यताएं:-
सिर्फ शरीर पर रुद्राक्ष धारण कर लेने मात्र से कभी कोई फायदा नहीं होगा। रुद्राक्ष पहनने के साथ-साथ स्वच्छ मन से धार्मिक विधियों और नियमों का पालन करने वाले शिव भक्तों पर शिव की विशेष कृपा बनी रहती है। रुद्राक्ष धारण करने के आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
रक्तचाप, हृदय रोग आदि में भी रुद्राक्ष धारण करना लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। रुद्राक्ष के नियम प्रकार लाभ तरीके मान्यताएं रुद्राक्ष पहनने वाले शिव प्रेमियों की मानसिक स्थिति मजबूत और उनकी आत्मिक शान्ति बनी रहती है। साक्षात देवो के देव महादेव भगवान शिव का रुद्राक्ष को अंश माना जाता है। रूद्राक्ष को लेकर पुराणों की मान्यता के अनुसार एक समय भगवन शिव अपने तप के दौरान क्षुब्द अर्थात भावुक हो गए, उनकी आँखों से कुछ बूंदें धरती पर गिरी जिनसे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। रूद्राक्ष एक मुखी रुद्राक्ष से लेकर 21 मुखी 21 Face रुद्राक्ष तक होते हैं। जिनका संबंध अलग-अलग देवी देवताओं से होता है। इन सभी रूद्राक्षों के फायदे भी अलग-अलग होते हैं। रुद्राक्ष Rudraksh का असर धीरे-धीरे होने लगता है।
रुद्राक्ष धारण करने से होने वाले फायदे और लाभ
आचरण, तन-मन की शुद्धता, अनुशाषन और आपकी नियत पर निर्भर करता है। यह भी सच है कि किया गया रुद्राक्ष का चमत्कारिक प्रभाव केवल 7 दिनों में ही असर दिखाने लगता है। इसके अलावा, रात में सोते समय इसे उतार दें, क्यूंकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि सोने के बाद हमारा शरीर अशुद्ध हो जाता है। इसीलिए सभी तरह की पूजा-पाठ, हवन इत्यादि नहाने के बाद ही किये जाते हैं। नहाने के बाद शुद्ध मन से रुद्राक्ष धारण करें। तुलसी की माला के बराबर पवित्र रुद्राक्ष को माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा, अन्य नशों और तामसिक भोजन के साथ तामसिक व्यवहार से दूरी बना लेना चाहिए।
रुद्राक्ष महात्म्य और रुद्राक्ष का महत्व क्या है
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रुद्राक्ष क्या है ? महिलाएं रुद्राक्ष धारण कर सकती हैं ?
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रुद्राक्ष पहनने के नियम एवं उपाय
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