महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
यह मंत्र भगवान शिव के एक प्रमुख मंत्रों में से एक है जो अमृतत्व की प्राप्ति के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से दुर्गंध, बीमारी, मृत्यु और सभी प्रकार की भयंकर परिस्थितियों से छुटकारा मिलता है। इस मंत्र का नाम महामृत्युंजय है क्योंकि इसका जप करने से मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन की अमरता की प्राप्ति होती है।
मंत्र का जाप करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले अपने शुभ ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए गुरु ग्रह एवं शनि ग्रह की उपासना करनी चाहिए। इसके बाद व्यक्ति को शुद्ध मनस्तिथि में रहते हुए एक सुखद और शांत जगह में बैठकर मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र का जाप करने से पहले, व्यक्ति को अपने मन में भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए व्यक्ति को अपने श्वास को बन्द करना चाहिए और फिर ध्यान केंद्र में बैठकर यह मंत्र 108 बार बोलना चाहिए। यह मंत्र एक शिव मंत्र है, जो समस्त रोगों और मौत से बचाने वाला मंत्र माना जाता है। इस मंत्र को अमृत पान का जाप भी कहा जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद में है और उसमें तीनों लोकों के संदेशक भगवान शिव का वर्णन है। मंत्र का जाप रोज सुबह-शाम किया जाना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की मनोदशा शांत होती है और वह सकारात्मक सोचने लगता है। इस मंत्र का जाप करने से समस्त दुख और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
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